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श्री गोंदवलेकर महाराज आरती

जय जय आरती श्रीगुरूराया। सद्गुरूराया।।
नमितो तव पदीं संहरि माया॥धृ.॥

मी जीव हा भ्रम द्वैत पसारा। द्वैत पसारा।।
वारूनि दिधला अद्वैत सारा॥१॥

परम परात्पर चिन्मयखाणी। चिन्मयखाणी।।
शतमुख स्तविता मंदलि वाणी॥२॥

जगज्जीवन प्रभु मंगल धामा। मंगल धामा।।
नाम रूपातीत तू अभिरामा॥३॥

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