श्री रेणुका माता आरती
जय जय जगदंबे
जय जय जगदंबे | श्री अंबे | रेणुके कल्पकदंबे | जय जय || धृ ||
अनुपम स्वरुपाची तुझी धाटी | अन्य नसे या सृष्टी ||
तुज सम रूप दुसरे, परमेष्टी | करिता झाला कष्टी ||
शशीरस रसरसला ,वदनपुटी | दिव्य सुलोचन दृष्टी ||
सुवर्ण रत्नांच्या, शिरी मुकुटी | लोपती रविशशी कोटी ||
गजमुखी तुज स्तविले हेरंबे | मंगल सकळारंभे || जय जय || १ ||
कुमकुम चिरी शोभे मळवटी | कस्तुरी टिळक लल्लाटी ||
नासिक अति सरळ, हनुवटी | रुचिरामृत रस ओठी ||
समान जणू लवल्या, धनुकोटी | आकर्ण लोचन भ्रुकुटी ||
शिरी नीट भांगवळी, उफराटी | कर्नाटकची घाटी ||
भुजंग नीळरंगा, परी शोभे | वेणी पाठीवर लोंबे || जय जय || २ ||
कंकणे कनकाची मनगटी | दिव्य मुद्या दश बोटी ||
बाजूबंद जडे बाहुबटी | चर्चुनी केशर उटी | सुगंधी पुष्पांचे हार कंठी ||
बहु मोत्यांची दाटी | अंगी नवी चोळी, जरीकाठी | पीत पितांबर तगटी ||
पैंजण पदकमळी, अति शोभे | भ्रमर धावती लोभे || जय जय ||३ ||
साक्षप तू क्षितिच्या तळवटी | तूचि स्वये जगजेठी ||
ओवाळीत आरती, दिपताटी | घेऊनी कर संपुष्टी ||
करुणामृत हृदये, संकटी | धावसी भक्तांसाठी | विष्णूदास सदा, बहुकष्टी | देशील जरी नीजभेटी ||
तरी मग काय उणे, या लाभे | धाव पाव अविलंबे || जय जय || ४ ||